Maa Ki Mehnat









लाचार बच्चों के बाप का साया ना सर था, 
उनकी विधवा माता को बस एक ही डर था। 
छोटे बच्चे अभी भोले है कहीं ना बिगड़ जाएं 
बुरी संगत में ना आ जाएं नशे में ना पड़ जाएं। 
संस्कारों के बल पर माँ उन्हें बचा पायी है 
आज फिर एक माँ की मेहनत रंग लाई है। 

टूटी नहीं वो मुश्किल में, खुद को सम्भाल 
मेहनत-मजदूरी महान कर बच्चों को पाला; 
खुद भूखी रहकर अपने पैरों पर खड़ा किया 
दो बेटों व बेटी को पाल पोसकर बड़ा किया। 
भेदभाव की दुनिया में एक मिशाल बनाई है 
आज फिर एक माता की मेहनत रंग लाई है। 


देखकर रुचि बच्चों की, उनका ज्ञान बढ़ाया 
कर्जा लेकर उनको खेल अकादमी में पढ़ाया;
वर्षों बाद तब माँ का सुख चैन से शयन हुआ 
तीनों बच्चों का जब अन्तर्राष्ट्रीय में चयन हुआ। 
इसलिए भारत की बेटी मेडल लेकर आयी है 
आज फिर एक माता की मेहनत रंग लाई है। 


बच्चों को भी पता माँ ने कैसे पैसा जोड़ा है 
मेहनत की तीनों ने भी कर्ज दुध का मोड़ा है;
रेसलिंग  में दोनों बेटों ने अपना राज जमाया 
तीरंदाजी में बेटी ने विश्व में खूब नाम कमाया। 
अब जाकर माता सुख से ईश्वर में जा समाई है 
आज फिर एक माता की मेहनत रंग लाई है।


~Shyam Sunder 


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