पंखे का चेहरा सुहाना लगता है| Random Rhymes Ancient

 


पंखे का चेहरा सुहाना लगता है
ठंडी हवा का दिल दीवाना लगता है
पल भर में कैसे बदलता है तापमान 
बिज़ली का तो आना जाना रहता है।

कुछ घंटों से हम बिज़ली का वेट कर रहे हैं
लाइट के आने तक कूलर में पानी भर रहे है, 
बिजली वालों ने तो जैसे सुध-बुध ही खो दी
उनको है क्या पता यहाँ हम कैसे मर रहे हैं।
हाथ वाले पंखे से ही काम चलाना पङता है
अब ठण्डी हवा का  दिल दीवाना लगता है।

कुल्फी वाले की घंटी कानो में टन बजती है
कुल्फी लेकर गर्मी मिटाओ हमसे कहती है;
गर्मी में पंखा करते - करते हाथ थक गए हैं
शरीर से हर समय पसीने की गंगा बहती है।
दिन में बार बार नींबु पानी बनाना रहता है
यहाँ बिज़ली का तो आना - जाना रहता है।

इस गर्मी में ये पेड़ तो भगवान ही हो गए हैं
बिज़ली छोड़ने वाले तो कुम्भ में खो गए हैं;
छह घंटे हो गए अभी तक बिजली नहीं आई
हम इंतजार करते करते गर्मी ही में सो गए हैं।
गर्मी में गर्मी के गानों का गुनगुनाना रहता है
अब ठण्डी हवा का  दिल दीवाना लगता है।

अचानक से कहीं से दिखा बादल का टुकड़ा
बड़ी खुशी से हम सब का खिल गया मुखड़ा;
कुछ ही समय बाद  फिर बारिश शुरू हो गई
नेताओं ने नहीं भगवान ने सुना हमारा दुखड़ा।
ठण्डे मौसम में गुलगुलों का पकाना रहता है 
अब ठण्डी हवा का  दिल दीवाना लगता है।

पंखे का चेहरा सुहाना लगता है
ठंडी हवा का दिल दीवाना लगता है
पल भर में कैसे बदलता है तापमान 
बिज़ली का तो आना जाना रहता है।


~Shyam Sunder 

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