Devine Love



जब प्यार हद से गुजर जाता है
तब प्यार दैवीय हो जाता है
तब तक प्यार प्यार नहीं रहता
तब तक प्यार भक्ति बन जाता है।

जब साजन में रब दिखने लगता है
जब सजदे में सर झुकने लगता है
जब तप में आनंद आने लगता है
जब दर्द में हंसने का मन करता है।

जब साजन की इज्जत बढ़ जाती है
उनका बोला हर‌ बोल गीता हो जाता है
उनका लिखा खत शास्त्र हो जाता है
और उनका आदेश संहिता हो जाता है।

चले जाने का मन करता है नंगे पैर
उनका गांव तीर्थ बन जाता है
उनका जन्मदिन त्यौहार होता है
जहां वह कदम रखती हैं स्वर्ग बन जाता है।

जब पता हो आत्मा का परमात्मा से मिलन ही सार है
तो फिर उन्हें पाने की चाह नहीं रहती
क्योंकि पता है या जीवित या मर के तो पाना ही है।
 
 
 
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