Bhav
क्या भाव लगा?
कपास का?
कपास का कहाँ भाव लगता है साहिब,
भाव तो विधयकों के लगते है
ऊँचे ऊँचे
कपास कहाँ बिकता है इधर
बिक तो ईधर नेताओं की ज़मीर रही है|
कपास का?
कपास का कहाँ भाव लगता है साहिब,
भाव तो विधयकों के लगते है
ऊँचे ऊँचे
कपास कहाँ बिकता है इधर
बिक तो ईधर नेताओं की ज़मीर रही है|
पानी कब आएगा?
पानी? पानी कब आता है साहेब.
इधर तो दिलासे आते हैं
वो भी सिर्फ़ एलेक्शन क़े टाइम
पानी कब आता है इधर
बन्दी आती है!
इधर तो दिलासे आते हैं
वो भी सिर्फ़ एलेक्शन क़े टाइम
पानी कब आता है इधर
बन्दी आती है!
कर्जा?
कर्जा माफ़ी क्या होती है?
माफ़ तो नेताओ के गुनाह होते हैं
जो हम हर बार कर हैं!
Comments
Post a Comment