Phonewalkers2 in Hindi
आते जाते रास्ते में
मुझे कुछ लोग जातें हैं मिल
ये जवान लोग किधर जा रहें हैं?
इन्हे पता भी है अपनी मंजिल?
देख अपने मेहबूब का मुखड़ा
कोई कहता भी है उसे चांद का टुकड़ा?
अरे!
इन्हे चांद देखने को फुर्सत कहां है?
नज़रें तो इनकी फोन में गड़ी रहती हैं;
और
ये शायरी वायरी आजकल कौन पढ़ता है?
किताबों पर तो धूल चढ़ी रहती है।
मुझे सड़क पर फोन चलाने वालों से पूछना है:
अरे!
ऐसा कौनसा काम है इन्हे?
जो घर पहुंचने तक नहीं कर सकता इंतजार
और
अगर एक पल प्रतियुत्तर ना भी दें
क्या आ जायेगा भूचाल?
खत्म हो जाएगा संसार?
अरे
महफिल का मतलब जानते भी हैं ये?
यहां दोस्त इकट्ठे होते हैं
और अपने अपने फोन पर लग जाते हैं;
पता नहीं ये कैसा नशा है?
जो पास बैठे दोस्त दूर
और
दूर बैठे फ्रेंड पास नजर आतें हैं।
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