Death of Characters
जब मैं कहानियों में जीता था वो दिन गुजर गए
मुझे मोहब्बत हुई और सारे किरदार मर गए
अब ख्यालों में मुझसे मिलने सिर्फ एक चेहरा आता है
बाकी सारे प्यारे लोग अपने-अपने घर गए
कब वक्त बदले कब जज़्बात बदले खबर ना हुई
पता ही नहीं चला जो हमसफर थे वो किधर गए
वो भी दिन थे हम सड़कों पर बेफिक्र नाचते थे
अब हम संजीदा हो गए हम शायद सुधर गए
जब कहानी चल रही हो तो उसे लिख लेना अच्छा है
कल को पता चले कि ख्याल ज़हन से कूच कर गए
जिंदगी क्या है? एक कहानी ही तो है श्याम
तुम्हें क्या हुआ जो इसकी एक तक़रीब से डर गए?
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